सूतिका ज्वर (बुखार) बच्चा जन्म देने से पहले व बाद में होने वाले प्रसूता के बुखार को कहा जाता है।
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** सूतिका ज्वर में निर्गुंडी का काढा देने से गर्भाशय का संकोचन होता है और भीतर की सारी गंदगी बाहर निकल जाती है.
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सूतिका ज्वर यदि ठीक न हो तो प्रसूता स्त्री के शरीर और स्वास्थ्य के लिए तपेदिक के समान नाशक और घातक सिद्ध होता है।
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सूतिका ज्वर के रोग में स्त्री को बहुत तेज ठंड के साथ बुखार आता है, उसका शरीर कांपने लगता है, सिर या तो भारी रहता है या उसमे दर्द रहता है।
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प्रलाप के साथ अनियमित बुखार, सर्वांग वेदना, जम्हाई, स्वादहीनता, ठंडक के प्रति अरुचि, गर्मी के प्रति रूझान उत्पन्न होना, दांत किटकिटाना, रूक्षता, अनिद्रा, आध्यमान और शरीर में स्तब्धता होना, यह वातिक सूतिका ज्वर के लक्षण हैं।
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सूतिका ज्वर का रोग स्त्रियों में ज्यादातर साफ-सफाई की तरफ लापरवाही बरतने के कारण हो जाता है जैसे-बच्चे को जन्म देने के बाद अंदर दूषित स्राव का रुक जाना, बच्चे की डिलीवरी कराते समय डाक्टर आदि का नाखून आदि लगने से जख्म हो जाने के कारण हो जाता है।